महाकुंभ, जिसे महाकुंभ मेला भी कहा जाता है, जो हर 12 साल में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम स्थल पर आयोजित होता है। कुंभ मेला हिंदू धर्म में पवित्र स्नान का एक महोत्सव है। ऐसा माना जाता है कि यहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। अर्थात कुंभ हर 6 साल में और महाकुंभ 144 साल में आयोजित होता है।

महाकुंभ शाही स्नान की तिथियां (Mahakumbh shahi snan dates)
- पौष पूर्णिमा: 13 जनवरी 2025 (सोमवार)
- मकर संक्रांति (पहला शाही स्नान): 14 जनवरी 2025 (मंगलवार)
- मौनी अमावस्या (दूसरा शाही स्नान): 29 जनवरी 2025 (बुधवार)
- बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान): 3 फरवरी 2025 (सोमवार)
- माघी पूर्णिमा (चोथा शाही स्नान): 12 फरवरी 2025 (बुधवार)
- महाशिवरात्रि (अंतिम स्नान): 26 फरवरी 2025 (बुधवार)
मौनी अमावस्या (दूसरा शाही स्नान):
मौनी अमावस्या, जो 29 जनवरी 2025 को होगी, महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे पितरों की पूजा और तर्पण के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है।
हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहां श्रद्धालु अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए चालीसा का पाठ करते हैं और दान-पुण्य करते हैं। इस दिन स्नान करने वाले व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है, और यह मान्यता है कि इससे पितरों को मोक्ष मिलता है
बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान):
बसंत पंचमी, जो 3 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी, महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन स्नान और दान के साथ-साथ मां सरस्वती की आराधना करना भी फलदायी माना जाता है। बसंत पंचमी पर स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 5:33 से 6:21 बजे तक रहेगा, जो ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है।
माघी पूर्णिमा:
माघी पूर्णिमा, जो 12 फरवरी 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी | धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, माघ माह में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है, और माघी पूर्णिमा पर किए गए अनुष्ठान अत्यधिक फलदायी माने जाते हैं। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और दान-पुण्य का कार्य करते हैं। माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है
महाशिवरात्रि (अंतिम स्नान):
महाशिवरात्रि, जो 26 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी, इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का पर्व है। इस दिन भक्तजन भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। इस दिन ही महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान भी किया जाएगा |
गंगा आरती:
गंगा आरती, जो महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में आयोजित होती है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। इस बार, 2025 में, यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि कन्याएं पहली बार गंगा आरती का नेतृत्व कर रही हैं।
गंगा आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है। इस बार कन्याओं द्वारा आरती करने से यह आयोजन और भी खास बन गया है, जो समाज में समानता और समरसता का संदेश देता है
गंगा आरती का महत्व:
- आध्यात्मिक अनुभव: गंगा आरती सूर्यास्त के समय की जाती है, जब पुजारी मंत्रोच्चारण करते हैं और दीप जलाते हैं, जिससे वातावरण में एक दिव्य ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- नारी सशक्तिकरण: इस बार की आरती में महिलाएं डमरू और शंख बजाएंगी, जो नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। यह पहल समाज में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा देती है
महाकुंभ मेला कब से कब तक चलेगा:
यह मेला 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि तक चलेगा।